झारखंड में होगी जड़ी बूटियों से लाईलाज बीमारियो को जड़ से खत्म करने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की खोज

झारखंड में होगी जड़ी बूटियों से लाईलाज बीमारियो को जड़ से खत्म करने के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की खोज

झारखंड में होगी जड़ी बूटियो की खोज

अमित तिवारी, जमशेदपुर : झारखंड में गंभीर व जानलेवा बीमारियों से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने जड़ी बूटियों का भी सहारा लिया है। इसके लिए दिल्ली में हुई बैठक में देश से कुल 16 मेडिकल कालेजों को रिसर्च के लिए चयन किया गया है। झारखंड से महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) मेडिकल कॉलेज शामिल है। इसमें एमजीएम को जड़ी बूटियों पर विशेष रूप से ध्यान देने की बात कहीं गई है। इससे जाहिर होता है कि अब चिकित्सकों की जिम्मेदारी दोगुनी बढ़ने वाली है। चिकित्सक इलाज करने के साथ-साथ पहाड़ी क्षेत्रों में जड़ी-बूटी भी खोजते नजर आएंगे।
दिल्ली में हुई बैठक में जड़ी बूटी व औषधीय पौधे पर रिसर्च के लिए भारत देश के झारखंड के एमजीएम मेडिकल कॉलेज को चुना गया था। इसको लेकर एमजीएम मेडिकल कॉलेज में रिसर्च की तैयारी शुरू भी कर दी गई है। चिकित्सक राज्य के अलग-अलग पहाड़ी क्षेत्रों में जाकर जड़ी-बूटी संग्रह कर उसपर रिसर्च करेंगे। इसके लिए कॉलेज के सभी विभागों में अपनी प्रयोगशाला होगी। हर विभाग अपने क्षेत्र से जुड़े रोगों के इलाज में हर्बल दवा के उपयोग और उस दवा के विकास पर शोध करेंगे। साथ ही कॉलेज में उपयोगी औषधीय पौधों को उगाए जाएंगे। रिसर्च सेंटर के लिए सरकार की ओर से 5.5 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है। यह आवंटन अलग-अलग हिस्सों में दिया जाएगा। पहले चरण में कॉलेज को 25 लाख रूपये प्राप्त हुए हैं। इससे सेंटर के लिए आधारभूत संरचना विकसित करने का कार्य शुरू कर दिया गया है।

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जानलेवा बीमारियों का इलाज होगा संभव

कैंसर, किडनी, हृदय रोग सहित अन्य रोगों का इलाज जड़ी-बूटियो के माध्यम से संभव होगा। मल्टी डिसिप्लिनरी रिसर्च सेंटर में मेडिकल के विभिन्न क्षेत्रों में रिसर्च किया जाएगा। इसमें जेनेटिक विंग, हिमोग्लोबिनो पैथो लैब सहित नान कम्यूनिकेबल बीमारी का इलाज व शोध शामिल होगा। डॉ. अवधेश पांडेय ने बताया कि झारखंड पहाड़ीनुमा राज्य है जिसके कारण यहां पर कई उपयोगी जड़ी-बूटियां मिलने की संभावना है। अभी कुछ दिनों पहले एक रिसर्च देश के हिमालय भारत एवं नेपाल देश की कुछ जड़ी बूटियां पर की गईं जो कैंसर, ब्लडप्रेशर, शुगर, अस्थमा, किडनी आदि कई लाइलाज बिमारियों के मरीजों के ऊपर प्रयोग भी किया गया जो तुरन्त असर करना शुरू हो गया और काफी मरीज ठीक भी हो रहे हैं ये दुनिया का बहुत बड़ा रिसर्च है डॉ अवधेश पांडेय बताते हैं कि ये दवाइयां भारत की आयुर्वेदिक दवा बनाने की कुछ कम्पनियों को दी जायेंगी l शर्ते ये रहेंगी कि कंपनियां इन दवाईयो को खुले बाजार में आयुर्वेदिक दुकानों पर नहीं बेच सकती हैं l ये प्राइवेट सप्लाई में रहेगी क्योंकि ये आयुर्वेदिक औषधि अभी बहुत कम मात्रा में मिल पा रही है और काफी मंहगी हैl डॉ अवधेश पांडेय बताते हैं आयुर्वेदिक मेडिसिन लेते समय मरीजों को अपनी खान पान जीवन शैली को सही तरीके से अपनाना होगा l यह नान कम्यूनिकेबल बीमारियों की विदेशी आयुर्वेदिक दवाएं काफी मंहगी हैं l इसलिए भारत के झारखंड राज्य सरकार के अस्वाशन पर वहां की पहाड़ों एवं जंगलों में नान कमयूनिकेबल बीमारियों के इलाज के लिए जड़ी बूटियो की खोज के लिए मंजूरी मिल चुकी है जो भारत, के मरीजों के लिए आयुर्वेदिक दवाएं कुछ सस्ती हो जाएंगी जिस पर रिसर्च की जा रही है जैसे किडनी रोग, हृदय, कैंसर, मधुमेह, अस्थमा सहित अन्य बीमारियों का इलाज व शोध हो सकेगा।

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रिसर्च से कई फायदे

मेडिकल कॉलेज में रिसर्च सेंटर स्थापित होने से चिकित्सक व छात्रों को काफी कुछ सीखने को मिल सकेगा। इससे देश सहित झारखंड के छात्रों को औषधीय पौधों पर शोध एंव अनुसंधान का मौका मिलेगा। कैंसर व मधुमेह जैसी गंभीर बीमारियों के लिए उपयोगी जड़ी-बूटियों को खोजा जाएगा। इस रिसर्च से ऑटो इम्यून बीमारी या अनुवांशिक रोगों का भी निदान खोजा जाएगा।

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दुनिया में इस भयानक लाइलाज बीमारियों पर यह पहला रिसर्च है प्रोफेसर डॉ अवधेश पांडेय बताते हैं

केंद्र सरकार की ओर से रिसर्च से संबंधित देश के सभी मेडिकल कालेजों को कुछ माह पूर्व एक-एक प्रारूप तैयार करने की सलाह दी गई थी। इसमें भारत देश के कुल 160 मेडिकल कालेजों में सिर्फ एमजीएम मेडिकल कालेज को ही बेहतर प्रारूप तैयार करने को लेकर प्रथम स्थान दिया गया। उनका का कहना है कि यह गर्व की बात है कि एमजीएम को इस योग्य चुना गया है। इसके लिए डॉ अवधेश पांडेय ने कॉलेज के सभी प्रोफेसर व कर्मचारियों को बधाई दी।

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‘रिसर्च के लिए भारत देश के मेडिकल कालेजों में सिर्फ एमजीएम को ही शामिल किया गया है। झारखंड के एमजीएम मेडिकल कॉलेज एवं रिसर्च सेंटर में जड़ी-बूटी के माध्यम से किडनी, हृदय, मधुमेह रोग सहित अन्य गंभीर बीमारियों की जांच, इलाज व शोध की प्रकिया शुरू कर दी गई है। डॉ अवधेश पांडेय प्रोफेसर /समाजसेवी

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